घाटकोपर में गत 13 मई को होर्डिंग गिरने से 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हादसे में कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे। इनमें ऑटो रिक्शा व बाइक से खाना पहुंचाने वाले कई वर्कर शामिल हैं। अब इन गरीबों पर भी उक्त होर्डिंग की गाज गिरी है। असल में बीमा कंपनियों ने उन्हें मुआवजा देने से पल्ला झाड़ लिया है। बता दें कि बीमा कंपनियां इन वाहनों पर जबरन रोड एक्सिडेंट का कानून लागू कर रही हैं। इसके तहत दुपहिया, तिपहिया और चौपहिया वाहनों के मालिकों को मुआवजा देने में आनाकानी की जा रही है। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले में सरकार ने चुप्पी साध रखी है। ।
घाटकोपर में होर्डिंग गिरने से क्षतिग्रस्त वाहनों को वापस पाना और उन पर बीमा क्लेम करना एक समस्या बन गई है। इस घटना में 47 दुपहिया, 39 चौपहिया वाहन और 10 ऑटो रिक्शा होर्डिंग के मलबे के नीचे दब गए। वाहन मालिकों का कंपनियों से बीमा क्लेम पाने का संघर्ष जारी है। सूत्रों का कहना है कि वाहन मालिक लगभग हर दिन साइट पर आते हैं। कई वाहनों के मालिकों की आजिविका उनके वाहनों पर ही निर्भर है। इनमें फूड डिलीवरी ब्वॉय और ऑटो रिक्शा के मालिक शामिल हैं।
हादसे के दिन प्रवीण कुमार बाल-बाल बच गए। उन्होंने समय रहते ट्रक के नीचे घुसकर अपनी जान बचाई। होर्डिंग गिरने के बाद उनकी बाइक क्षतिग्रस्त हो गई थी। जब उन्होंने बीमा के बारे में वर्कशॉप से पूछा, तो उन्हें बताया गया कि उन्हें बीमा नहीं मिलेगा क्योंकि उनके वाहन का केवल थर्ड-पार्टी बीमा है। वर्तमान में वह काम के लिए अपने दोस्तों और परिवार की बाइक का उपयोग कर रहे हैं। उनकी बाइक अभी भी घटनास्थल पर वाहनों के ढेर में पड़ी है। मारुति एर्टिगा के मालिक अजय भोईर ने बताया, ‘मैंने बीमा कंपनी से संपर्क किया है, उन्होंने मुझे एस्टीमेट लगाने के लिए कहा है। घटनास्थल पर मौजूद एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से वाहन मालिक सुबह के समय घटनास्थल पर उमड़ रहे हैं। भिवंडी निवासी मोहम्मद अरशद ने कहा, ‘मैं अपनी बाइक को घटनास्थल से निकालने की कोशिश कर रहा हूं। मेरा थर्ड पार्टी बीमा है इसलिए मुआवजा देने से मना कर दिया गया। यह बाइक मेरे परिवार की आजीविका का सोर्स है।’ इसी तरह अनिल पाटील का कहना है कि २ साल पहले स्विफ्ट डिजायर खरीदी थी, जिससे घर की आजिविका चल रही थी। बीच में चुनाव होने की वजह से गाड़ी मिलने में देरी हुई है।