पूजा खेडकर को कोर्ट से झटका, अग्रिम जमानत याचिका हुई खारिज
मुंबई। आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर को गुरुवार को कोर्ट से झटका लगा. पटियाला हाउस कोर्ट ने पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने पूजा की कोर्ट में मौजूदगी पर सवाल उठाए. कोर्ट ने इस बात पर भी असंतोष जताया कि वह अनुपस्थित थी. कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी पूरे सेशन में एक बार भी मौजूद रहती है तो उसे हमेशा उपस्थित नहीं माना जाएगा. यूपीएससी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की थी. पूजा पर संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया था.
जानिए कोर्ट ने जांच एजेंसी को क्या दिया निर्देश
पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल सेशन जज देवेन्द्र कुमार जंगाला की कोर्ट ने पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह इस बात की जांच करे कि क्या उसने OBC क्रीमी लेयर कोटा और बेंचमार्क विकलांगता लाभ प्राप्त किया था, जबकि वह इसकी हकदार नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों को पूरी निष्पक्षता से जांच करनी चाहिए. साथ ही यह भी जांच करनी चाहिए कि क्या उसके ऐसा करने में किसी अंदरूनी व्यक्ति की भूमिका है? इससे पहले बुधवार को यूपीएससी ने पूजा खेडकर को नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया था और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं और चयनों से वंचित कर दिया था. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि यूपीएससी ने पूजा खेडकर को रिकॉर्ड की जांच की है और उन्हें सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया है. सीएसई-2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का फैसला किया है और उन्हें यूपीएससी की सभी भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया गया है.
क्या था विवाद?
34 वर्षीय पूजा खेडेकर अपनी निजी ऑडी कार पर रेड लाइट के अनधिकृत उपयोग के साथ-साथ एक अलग कार्यालय और आधिकारिक कार की मांग करने के आरोपों के बाद सुर्खियों में आई थी. शुरुआत में पुणे में तैनात खेडकर को विवाद के बीच पुणे जिला कलेक्टर ने वाशिम में स्थानांतरित कर दिया था. हालांकि, उनकी परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुईं. सरकार ने बाद में उनके ‘जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम’ को रोक दिया था, और उन्हें “आवश्यक कार्रवाई” के लिए मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में वापस बुलाया था. खेडकर, जो अपनी विकलांगता और ओबीसी प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता के लिए जांच के दायरे में थीं, का दावा है कि वह गलत सूचना और “फर्जी खबरों” का शिकार बन गई हैं.