‘मीरा भायंदर की शान’ माउथ फ्रेशनर से निर्मित गणपति बने आकर्षण का केंद्र, पर्यावरण संरक्षण का भी दे रहे संदेश
भायंदर : मुंबई के भायंदर में श्री समर्थ मित्र मंडल द्वारा स्थापित की जाने वाली ‘मीरा भायंदर की शान’के रूप में प्रसिद्ध गणपति 30 वर्षों से भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर रहे हैं। यह मंडल कई सालों से यहां इको फ्रेंडली गणपति मूर्तियों की स्थापना करता आ रहा है जिससे पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी जागरूकता फैलाई जा रही है।
मीरा भायंदर की शान के रूप में प्रसिद्ध गणपति भायंदर पूर्व के नवघर रोड पर स्थित हैं। मंडल के उपाध्यक्ष प्रशांत ठाकुर ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से इस मंडल द्वारा इको फ्रेंडली (पर्यावरण पूरक ) गणपति मूर्ति की स्थापना की जा रही है। मंडल की स्थापना के वर्ष से ही यहां 8 फुट की मूर्ति ही स्थापित की जाती है। यहां प्रति वर्ष अलग-अलग पर्यावरण पूरक सामग्री से मूर्ति का निर्माण किया जाता है।
हर साल इको-फ्रेंडली मूर्ति की जाती है स्थापित
पर्यावरण संरक्षण के लिए यहां इस साल भी इको-फ्रेंडली मूर्ति स्थापित की गई है। मंडल की तरफ से पर्यावरण को बचाने के लिए उठाए गए इस कदम की लोग सराहना करते नहीं थकते। मंडल के पदाधिकारी भी इको-फ्रेंडली मूर्ति के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।
माउथ फ्रेशनर से बनाई है इस बार की प्रतिमा
इस वर्ष माउथ फ्रेशनर (मुखवास) के लिए प्रयोग किए जाने वाले सामग्री से मूर्ति को अंतिम स्वरूप देकर उसका श्रृंगार किया गया है। इसमें 8 किलो धनिया, 4 किलो बड़ी सौंफ, 2 पैकेट कतरी सुपारी, 28 पैकेट तुलसी कंपनी की सिल्वर खजूर, 4 पैकेट सन फ्लॉवर, 3 पैकेट तरबूज के बीज, 4 पैकेट अलसी, 3 पैकेट माउथ फ्रेशनर ( सिल्वर कोटेड बड़ी सौंफ) 2 पैकेट चेरी और मिक्स मुखवास का बड़ी ही बारीकी से उपयोग किया गया है। अथर्व आर्ट के मूर्तिकार बबन मलेकर ने इस भव्य मूर्ति का निर्माण किया है। मुखवास की सहायता से बनी इस मूर्ति के दर्शन के लिए भक्तों और श्रद्धालुओं का लगातार तांता लग रहा है। यह सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कई सामाजिक कार्यों का आयोजन
मंडल के अध्यक्ष गणेश वाघ और सचिव अश्विन दलवी ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी मंडल द्वारा यहां रक्तदान शिविर, मेडिकल कैंप और प्रतिभाशाली दसवीं – बारहवीं के विद्यार्थियों को पुरस्कृत और सम्मानित किया जाएगा। साथ ही इको फ्रेंडली (पर्यावरण पूरक) श्री गणेश मूर्ति के स्थापना कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है।