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मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, शिंदे समिति की रिपोर्ट को किया स्वीकार

मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं आरक्षण के मुद्दे को लेकर राजनीति गरमा रही है। मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे ने 25 सितंबर को मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अपने 9 दिन के अनशन काे खत्म कर सरकार को अल्टीमेटम दिया था। इस बीच न्यायमूर्ति शिंदे की अध्यक्षता में बनी समिति ने अपनी दूसरी और तिसरी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी हैं।

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने ऐतिहासिक अभिलेखों के आधार पर कुनबी-मराठा और मराठा-कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए प्रोटोकॉल को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से बनाई गई न्यायमूर्ति शिंदे समिति की दूसरी व तीसरी रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया हैं। कुनबी एक कृषक समुदाय है और इसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।

विधानसभा चुनावों को देखते हुए सीएम एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 38 प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिनमें से कुछ प्रस्ताव मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में मेट्रो रेल और सड़क के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से संबंधित थे।

दिसंबर 2023 में प्रस्तुत की थी रिपोर्ट
न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) समिति ने दिसंबर 2023 में मराठा आरक्षण के मामले में अपनी दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसे राज्य सरकार ने अब तक आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया था। राज्य मंत्रिमंडल द्वारा शिंदे समिति की रिपोर्ट को सोमवार को स्वीकार किए जाने के निर्णय को पिछड़े समुदायों द्वारा विरोध के बीच ओबीसी श्रेणी में शामिल किए जाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे मराठा समुदाय को शांत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

सरकार ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने ठाणे रिंग मेट्रो परियोजना के लिए 12,200 करोड़ रुपए के संशोधित प्रस्ताव को भी मंजूरी दी और ठाणे-बोरीवली सुरंग मार्ग के लिए ऋण के माध्यम से 15,000 करोड़ रुपए जुटाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी।

23 सितंबर की बैठक में भी लिए गए थे कई फैसले
चुनाव कार्यक्रम और आचार संहिता की घोषणा की संभावना को देखते हुए राज्य सरकार लगातार मंत्रिमंडल की बैठकें कर रही है। 23 सितंबर को आयोजित पिछली बैठक में सरकार ने तीन कुनबी उपजातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग खंड में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अधिकारियों ने कहा था कि पिछली कैबिनेट बैठक में गाय के दूध उत्पादकों के लिए सात रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी जारी रखने सहित कुल 24 निर्णय लिए गए थे।

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