मुंबई: बदलापुर के स्कूल में हुई घटना के बाद एक्शन लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने ठाणे और मुंबई के जिला शिक्षा अधिकारियों को निंलबित कर दिया है। बताया जा रहा है कि ठाणे के जिला शिक्षा अधिकारी को बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले की समय पर जानकारी नहीं देने के लिए शुक्रवार को निलंबित कर दिया गया। जबकि बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के शिक्षा अधिकारी के खिलाफ मुंबई में बीएमसी के स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाने के लिए इसी तरह की कार्रवाई की गई। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने यह जानकारी दी है।
बीएमसी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि इस कार्रवाई से बहुत कड़ा संदेश जाएगा कि सरकार लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि ठाणे के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) बालासाहेब रक्षे और बीएमसी के शिक्षा अधिकारी राजेश कंकल को निलंबित कर दिया गया है।
बालासाहेब रक्षे को किया गया सस्पेंड
केसरकर ने कहा कि बदलापुर घटना की जानकारी शिक्षा अधिकारी रक्षे को 16 अगस्त को ही मिल गई थी, लेकिन इतनी बड़ी बात उन्होंने शिक्षा विभाग को नहीं दी। उन्होंने कहा कि रक्षे ने समय पर यह जानकारी दी होती तो सरकार समय पर कार्रवाई करती और अगले दिन हुए आंदोलन और जनआक्रोश से बचा जा सकता था। रक्षे ने ऐसा नहीं किया इसलिए यह कार्रवाई की गई।
राजेश कंकल निलंबित
स्कूली शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुंबई नगर निगम के स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। कारण बताया गया है कि टेंजर प्रक्रिया चल रही है। केसरकर ने कहा, “रक्षे को बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले की समय पर जानकारी न देने के लिए निलंबित किया गया है। कंकल को बीएमसी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे न लगाने के लिए निलंबित किया गया है। मैं इस मुद्दे पर दो साल से काम कर रहा हूं, अब भी काम जारी है और कैमरे अब तक नहीं लगाए गए हैं।”
सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश
बदलापुर के एक स्कूल में यौन शोषण की घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने बीते बुधवार को राज्य के सभी स्कूलों को एक महीने के भीतर अपने परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश जारी किए। आदेश में कहा गया है, ‘‘राज्य के सभी निजी स्कूलों को विभाग के नए दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है, जिसके तहत स्कूल परिसर में उचित स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य है। इसका पालन न करने पर वित्तीय अनुदान रोके जाने या स्कूल के संचालन परमिट को रद्द किए जाने जैसी कार्रवाई की जा सकती है।”