कल्याण: महाराष्ट्र के कल्याण में एक विकलांग दंपत्ति के बच्चे को बेचने का सनसनीखेज सामने आया है। इस मामले में भगवान का दूसरा कहे जाने वाले की डॉक्टर की करतूत सामने आयी है। मामले के खुल जाने से इलाके में हड़कंप सा मच गया है। लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता की सक्रियता से यह मामला खुल गया।
कल्याण के पास मोहने इलाके में एक डॉक्टर की घिनौनी हरकत सामने आई है। इस डॉक्टर ने एक नेत्रहीन जोड़े से कहा कि अगर तुम्हें बच्चा नहीं चाहिए तो हमारे रिश्तेदार को दे दो, वे तुम्हारे अस्पताल का खर्चा उठा देंगे। इसके बाद एक दृष्टि हीन दंपत्ति को प्रलोभन दिया गया कि वे आपके दो बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद उन्होंने बच्चे को दंपत्ति को न देकर अपने पास रख लिया। जब दंपति ने पूछा तो उन्होंने दो बच्चों की शिक्षा के लिए भुगतान करने से इनकार कर दिया। इसके बजाय उन्होंने दंपति से अस्पताल का बिल चुकाने को कहा। आरोपों में कहा जा रहा है कि उस डॉक्टर ने नेत्रहीन मां को बच्चे के लिए बनने वाले दूध को बंद करने के लिए मां का दूध बंद करने वाली गोलियां भी दी गईं।
इस चौंकाने वाली घटना के सामने आते ही कल्याण खड़कपाड़ा पुलिस स्टेशन में डॉक्टर अनुदुर्ग धोनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है, लेकिन डॉ. अनुदुर्ग ने सभी आरोपों से इनकार किया है। फिलहाल खड़कपाड़ा पुलिस इस मामले में आगे की जांच कर रही है। इसलिए इस बच्चे को फिर से इस नेत्रहीन जोड़े की सुपुर्दगी में दे दिया गया है।
वैसे तो हमारे देश में डॉक्टरों को देवदूत कहा जाता है, लेकिन डॉक्टरी पेशे को कलंकित करने वाली यह घटना कल्याण के पास मोहने में घटी, कल्याण ग्रामीण इलाके में रहने वाले एक नेत्रहीन जोड़े का तीन साल का बेटा और पांच साल की बेटी है। नेत्रहीन महिला कुछ महीने पहले मोहने के गणपति नर्सिंग होम में डॉक्टर के पास गई, जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि वह पांच माह की गर्भवती है। लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इस जोड़े ने गर्भपात कराने का फैसला किया। गर्भपात के लिए परिजन मोहने स्थित गणपति नर्सिंग होम गए।
इसके बाद मौके का फायदा उठाने के लिए डॉक्टर अनुदुर्ग धोनी ने सभी परीक्षण के बाद कहा, ”बच्चा सामान्य है और गर्भपात न कराएं। हम लोग बच्चे को गोद लेंगे, मेरे पास दत्तक माता-पिता हैं। मैं बच्चे को अपने रिश्तेदार को गोद देने जा रहा हूं।.. बदले में मैं तुम्हारे दोनों बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाऊंगा”।
बताया जा रहा है कि डॉक्टर की सलाह पर बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेने पर दंपत्ति ने प्रलोभन में आकर बच्चे को जन्म देने का फैसला किया। 23 अगस्त को इस नेत्रहीन महिला ने गणपति नर्सिंग होम में एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया, लेकिन इस अस्पताल के डॉक्टर अनुदुर्ग ने जन्मे बच्चे को दंपत्ति को दिखाए बिना ही अपने पास रख लिया। सात दिन बाद नेत्रहीन जोड़े ने डॉक्टर से मुलाकात की और योजना के अनुसार अपने दो बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का अनुरोध किया, लेकिन डॉ. धोनी ने साफ इनकार कर दिया और अस्पताल का बिल चुकाने को कहा। इस दौरान डॉक्टर ने इस बच्चे को करीब आठ से दस दिन तक अपने पास रखा, उन्होंने बच्चे की मां के स्तनपान रोकने के लिए कुछ गोलियाँ भी दीं, लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा कार्रवाई के बाद डॉक्टर को बच्चे को माता-पिता को लौटाना पड़ा।
हालांकि इस संबंध में डॉक्टर अनुदुर्ग धोनी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। ऐसा कोई कार्य उनके द्वारा नहीं किया गया है।