मालेगांव: मालेगांव (मध्य) विधानसभा क्षेत्र 114 महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के 288 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र धुलिया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश, 2008 के अनुसार मालेगांव (मध्य) निर्वाचन क्षेत्र में नाशिक जिले के मालेगांव मनपा के वार्ड 8 से 20 और 26 से 65 शामिल हैं। मालेगांव (मध्य) विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के मुफ्ती मोहम्मद इस्माईल अब्दुल खलिक हैं।
मालेगांव महाराष्ट्र राज्य में एक संवेदनशील शहर के रूप में जाना जाता है, जहां मुस्लिम की आबादी अधिक है। कोरोना काल में मालेगांव पैटर्न की भी खूब चर्चा हुई थी। यह चुनाव क्षेत्र शुरू से ही संवेदनशील माना जाता रहा है, जहां मजदूर वर्ग की अधिक संख्या है। मोहम्मद इस्माइल अब्दुल खलिक यहां के वर्तमान विधायक हैं, जिन्हें 2019 में AIMIM ने टिकट दिया था। वे मराठी मुस्लिम राजनेता हैं और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता हैं। उन्हें असदुद्दीन ओवैसी का निकटवर्ती माना जाता है।
मालेगांव मध्य की स्थिति
2009 में मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल तीसरी आघाडी संरक्षण समिति के उम्मीदवार थे। उन्हें 71 हजार 157 वोट मिले थे, उन्होंने शेख रशीद हाजी शेख शफी को हराया था, जिन्हें 52 हजार 238 वोट मिले थे। 2014 में शेख आसिफ राशीद कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए। उन्हें 75 हजार 326 वोट मिले थे, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल कास्मी राष्ट्रवादी के टिकट पर लड़े, लेकिन उन्हें 59 हजार 175 वोट मिले थे और उनकी हार हुई थी। मलिक मोहम्मद युनुस एआईएमआईएम के टिकट पर लड़े और उन्हें 21 हजार 500 मत मिले थे।
2019 के चुनाव की समीक्षा
मोहम्मद इस्माइल खलीक ने 2019 के चुनाव में AIMIM के टिकट पर जीत हासिल की, उन्हें 1 लाख 17 हजार 242 वोट मिले। कांग्रेस के आसिफ शेख राशीद को 78 हजार 723 वोट मिले। इस जीत के बाद से मालेगांव मध्य में AIMIM का वर्चस्व है। मुफ्ती इस्माईल 2009 और 2019 में यहां से विधायक बने हैं। मालेगांव मध्य मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और अत्यधिक संवेदनशील शहर माना जाता है, जो कोरोना काल में भी सुर्खियों में रहा।
भुईकोट किला यहां की विरासत
मालेगांव का भुईकोट किला ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, जो शहर को एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है। यह किला मालेगांव की मोसम नदी के किनारे स्थित है, जिसका निर्माण नारोशंकर ने 1740 में किया था। नारोशंकर पेशवा के सरदार थे और उनका पेशवा के साथ मतभेद हुआ था, लेकिन बाद में यह मतभेद समाप्त हो गया।
इसके बाद, नारोशंकर ने मालेगांव में एक वाड़ा बनाने की अनुमति पेशवा से प्राप्त की, लेकिन उन्होंने सलाहकारों द्वारा सुझाए गए मोसम नदी के किनारे की जगह पर एक किला बनाने का फैसला किया। मालेगांव तक नाशिक, धुलियया, जलगांव, चालीसगांव, और छत्रपति संभाजी नगर से पहुंचा जा सकता है। यह किला शहर की ऐतिहासिक महत्ता का प्रतीक है और आज भी मालेगांव की पहचान के रूप में खड़ा है।