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जेल में बंद ब्रह्मोस वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल ने सेना को सौंपी थी 80 मिसाइलें, उम्रकैद की सजा का पाकिस्तान कनेक्शन जानें

नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 3 जून को ब्रह्मोस के पूर्व इंजिनियर निशांत अग्रवाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। निशांत को 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अग्रवाल को 14 साल तक की सजा भुगतनी होगी। उस पर तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। निशांत नागपुर में मिसाइल असेंबली यूनिट में काम करते थे। चार साल की नौकरी के दौरान उन्होंने लगभग 80 मिसाइलें सेना को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

लैपटॉप में जो डेटा मिला था, वह पहले से ही पब्लिक डोमन में था
निशांत के मुकदमे के दौरान गवाह के रूप में पेश हुए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) के पूर्व जीएम मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अच्युत देव के अनुसार, उनके पास मिसाइलों के ग्राहकों और डिलीवरी स्थानों तक पहुंच थी। हालांकि देव ने अदालत को बताया कि उन्हें निशांत की ओर से कार्यालय के कंप्यूटरों से जानकारी के साथ छेड़छाड़, साझा करने या उसका दुरुपयोग करने का कोई मामला नहीं मिला, जबकि उनके वर्कस्टेशन पर और भी गोपनीय जानकारी मौजूद थी। देव ने अदालत को बताया कि उनके लैपटॉप में जो डेटा कथित तौर पर मिला था, वह पहले से ही सार्वजनिक डोमन में था।

निशांत के बारे में कोई भी नकारात्मक रिपोर्ट नहीं मिली थी
देव ने कहा कि वह वारहेड इंटीग्रेशन और मैकेनिकल विभाग के प्रमुख थे। उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो या अन्य सुरक्षा एजेंसियों से निशांत के बारे में कोई भी नकारात्मक रिपोर्ट नहीं मिली थी। निशांत को 2018 में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार के लिए भी सिफारिश की गई थी। हालांकि ब्रह्मोस यूनिट में कार्यकारी निदेशक (प्रोडक्शन) एनएन कुमार ने अदालत को बताया कि निशांत को अपने निजी कंप्यूटर में विभागीय जानकारी नहीं रखनी चाहिए थी। उनके कंप्यूटर में मिसाइल- CK-310 का तकनीकी विवरण था। उन्होंने रिकॉर्ड में कहा कि यह बेहद गोपनीय जानकारी थी। तकनीकी विशेषज्ञों की ओर से अनुमोदन के लिए यह एक ड्राफ्ट एडिशन था।

राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं थे निशांत
निशांत को 2018 में गिरफ्तार करने वाले उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के जांच अधिकारी ने बचाव पक्ष के वकील को जवाब देते हुए अदालत को बताया कि निशांत और उसकी पत्नी दोनों ही इस्लामवादी विचारधारा के प्रति झुकाव नहीं रखते थे या राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं थे। एटीएस अधिकारी पंकज अवस्थी ने कहा कि निशांत की आय से अधिक किसी भी संपत्ति की जांच नहीं की गई थी और यह सच नहीं है कि हैदराबाद इकाई में अपने प्रशिक्षण के दौरान उसके पास कोई गुप्त जानकारी नहीं थी।

निशांत को आजीवन कारावास की सजा
दरअसल पिछले हफ्ते निशांत को सत्र न्यायालय ने IT अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। निशांत पर ब्रह्मोस से जुड़ी गुप्त जानकारी पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को देने का आरोप है, जिन्होंने लड़कियों के वेश में सोशल मीडिया पर उनसे संपर्क किया था। उनके बचाव पक्ष के वकील ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के पास उनके केस के कागजात हैं।

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