Blogमुंबई

Trees to be cut in Matunga:विकास के नाम पर काटे जायेगें हरेभरे पेड़, माटुंगा के 500 से अधिक वृक्षों पर चलेगी आरी

मुंबई: मुंबई मे विकास के नाम पर हरेभरे पेड़ बली चढ़ाए जा रहे हैं जिसका दुष्परिणाम मौसम पर नज़र आने लगा है। माटुंगा पुर्व कमला रामन नगर और माटुंगा रोड कालोनी में पुनर्विकास परियोजना के तहत 500 से अधिक वृक्षों पर आरी चलेगी। स्थानीय नागरिकों और समाज सेवकों ने रेल प्रशासन को पत्र लिख कर इसका विरोध शुरू किया है।
पेड़ काटने की बन चुकी है रुपरेखा
माटुंगा रोड की 255 रेल्वे कर्मचारियों के परिवारों और छह से सात एकड़ में फैले 500 से अधिक वृक्षों को अदानी समूह के नेतृत्व वाली धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपीपीएल) के लिये रास्ता बनाने और पुनर्विकास के लिये काटना होगा। ये सभी पेड़ हरे भरे हैं, इनकी गिनती करते इन पेड़ों पर नंबर भी डाल दिया गया है। हालाकिं यहां के 255 रेल कर्मचारियों और पेड़ों के संदर्भ में भारतीय रेल्वे की ओर से समन्वय कर रहे रेल्वे भूमि विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अनिल कुमार खन्डेलवाल ने एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई और 500 पेड़ों के बारे में चर्चा की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। इस बारे में रेलवे प्रशासन ने एक पत्र जारी कर धारावी पुनर्विकास परियोजना स्लम पुनर्वास प्राधिकरण और आर एल डी ए के समझौते के अनुसार दादर, माहिम और माटुंगा में भूमि को चिन्हित कर पुनर्विकास के लिए रास्ता साफ करने के निर्देश दिए हैं।
पेड़ काटे जाने के लिए हुए फैसले का विरोध
पुनर्विकास के लिये 500 हरे भरे पेड़ों को काटे जाने का रेल्वे यूनियन ने विरोध किया है। सेंट्रल रेल्वे मजदूर संघ के यूनियन के नेता प्रवीण बाजपेयी ने इस संदर्भ मे पूछे जाने पर कहा की युनियन पेड़ों की कटाई का विरोध करेगी और आधुनिक पद्धति से उन्हे अन्यंत्र लगाये जाने की मांग करेगी। स्थानीय निवासियों ने भी हरे भरे पेड़ों को काटे जाने का विरोध किया है। जाने माने पर्यावरणवादी जोसेफ मिरंड़ा ने पेड़ो को काटे जाने की निंदा की है और कहा की सरकार को पहले पेड़ों को सुरक्षित जगह शिफ्ट करना चाहिये। जिससे पुनर्विकास भी हो और पेड भी ज़िंदा रहे।
अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी
धारावी बचाओ आंदोलन के समन्वयक संजय रमेश भालेराव ने कहा, सरकार ने धारावी को अदानी के हाथो बेच दिया है, 500 पेड़ों को पुनर्विकास के नाम पर काटा जाना बड़ी बात है, हरियाली नष्ट होने से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ रहा है, हम इसका विरोध कर रहे हैं। जल्द ही रेल मंत्रालय को पत्र लिख कर कोई रास्ता निकालने की मांग करेंगे तथा ऐसा ना होने पर अदालत से न्याय की अपील की जायेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button